Monday, June 9, 2014

Lekar Hum Deewana Dil ( 2014) : Music Review


 ऐसा बोलते है कि आगाज़ अच्छा तो आधा काम ख़त्म।  'लेकर हम दीवाना दिल ( LHDD ) के डायरेक्टर आरिफ अली ने जब रहमान को इस फिल्म का म्यूजिक कंपोज़ करने के लिए राज़ी किया  होगा तो उनके दिमाग में भी यही बात रही  होगी। जब एक नया डायरेक्टर अपनी पहली ही फिल्म में दो एकदम नए चेहरों के साथ एक रोमकॉम बनाता है  तो  ए  आर रहमान से ज्यादा सेफ बेट ( सुरक्षित दाव ) कुछ नहीं हो सकता। LHDD में रहमान एक नए अवतार में है , जो विशुद्ध रूप से युवाओं के लिए है। ऐसे युवाओ के लिए जो संगीत को समझकर सुनने की बजाय सुनते ही थिरकना चाहते है।  जिन्हे क्लिष्ट राग-रागनियों और उम्दा सूफी शायरी की दरकार नहीं है , जिन्हे चाहिए ऐसा संगीत जो सुनते ही रगो में 'एड्रेनैलिन रश' को बढ़ा दे। ऐसा म्यूजिक जिसकी लिरिक्स 'वाट्सएपनुमा ' हो और जिसे  बिना दिमाग लगाये On the go सुना जा सके।   रहमान ने ठीक वैसा ही संगीता रचा है , और उन्हें कॉम्पलिमेंट किया है आज के दौर के सबसे बिकाऊ लिरिसिस्ट  अमिताभ भट्टाचार्य ने।  अमिताभ वो भाषा लिखते है जो आज का युवा बोलता है , इसके अलावा अमिताभ हिंदी सिनेमा में अपनी एक अलग लेक्सिकन लेकर आये है जो सबसे 'अलेहदा  ' है। 

 LHDD  रहमान का  एक ऐसा दुर्लभ एल्बम है जिसके लगभग सारे गाने पहली बार सुनने में ही जुबान पर चढ़ जाते है , ऐसा इसलिए है क्योकि सारे गानो को निहायत ही सरल मौसिकी   पर बनाया गया है।  रहमान ने   ' अकूस्टिक' गिटार और ड्रम्स भरपूर उपयोग किया है जिससे  कॉलेज के लोकल रॉकस्टार्स इन्हे  आसानी से आत्मसाध कर सके और उन्हें इन गानो से कंनेक्ट करने में आसानी हो।  याद कीजिये ' ३ इडियट्स ' का  ' सारी उम्र हम मर - मर के जी लिए ' ये गाना कॉलेज और होस्टल्स का ' एन्थम ' इसलिए बन गया था क्योकि  वो  गाने में  और ' अकूस्टिक' गिटार पर बजाने  में आसान था।  

 खलीफा - ये इस एल्बम की सबसे पहली रिलीस्ड ट्रैक थी।  खलीफा पुरे एल्बम का मूड सेट करती है।  बकौल रहमान ' खलीफा ' LHDD के लिए बनायीं गयी सबसे पहली ट्रैक थी जिसे अमिताभ भट्टाचार्य के साथ एक रात के जैमिंग सेशन में कंपोज़ किया गया था। गाने की शुरुवात ' श्वेता पंडित और सुज़ेन डिमेलो की ' रैप ' लिरिक्स से  होती है।  खलीफा इलेक्ट्रॉनिक बेस पर कंपोज्ड डीजेनुमा ट्रैक है।  ऐसा लगता है जैसे अनेक इंस्ट्रूमेंट्स और आवाज़ों को परत-दर -परत चढ़ाकर ये ट्रैक बनी है और इन सब लेयर्स को जो दमदार ग्लू आपस में जोड़ता है वो है रहमान की पंचम सप्तक वाली ग़मकदार आवाज़। ये गाना इस बात का सबसे सशक्त  उदाहरण है कि रहमान वाकई  तकनीकी कौशल के ' खलीफा' है।  

मालूम - मालूम कनाडा की कंठ-कोकिला  जोनिता गांधी और ह्रदय गट्टानी द्वारा गाया एक बेहद मधुर गाना  है जो  गिटार के एक खूबसूरत पीस से शुरू  होता है।  इस गाने में रहमान के रेगुलर गिटारिस्ट ' केबा ' ने ज़बरदस्त बेस दिया है।  गाना बेसिकली एक लेड बेक और कूल लड़के और एक शोख और ज़िंदादिल लड़की का ' विज़न स्टेटमेंट ' है।  इस गाने के लिए ह्रदय और जोनिता रहमान की स्वाभाविक पसंद रहे होंगे।  ह्रदय गट्टानी  रहमान के KM कॉलेज के छात्र है और इसके पहले रहमान द्वारा कंपोज्ड ए पी जे अब्दुलकलाम की कविता ' वन विज़न ' को अपनी आवाज़ दे चुके है।  उनकी आवाज़ में लड़कपन और  बेफिक्री है वंही जोनिता की आवाज़ में शोखी , ज़िंदादिली और आत्मविश्वास है , यही इस गाने का बेसिक आर्किटेक्ट है।  गाने का पहला हाफ ह्रदय गाते है और फिर सेकंड हाफ में जोनिता एक नोट ऊपर से गाते हुए इससे क्रेसेंडो तक लेकर  जाती है।  असल में इस गाने की ' रौनक ' जोनिता ही है जो एल्बम - दर -एल्बम और कॉन्सर्ट -दर -कॉन्सर्ट निखरती जा रही है।  जोनिता ने अरिजीत सिंह के साथ  ' कोच्चिड़यन ' का बेहद मधुर और कठिन गाना ' दिलचस्पियां '  भी गाया है , जो असल में रहमान के लिए उनका गाया सबसे पहला गाना था।  

अलाहदा  :  अलाहदा असल में ' उर्दू के 'अलेहदा' लफ्ज़  का  परिवर्तिति स्वरुप है।   अलेहदा का मतलब होता है जुदा , अलग।  ये एक विरह गीत है।  इस गाने के गायक शिराज़ उप्पल है जो पाकिस्तान के बेहद मक़बूल फनकार है और 2013 में आई फिल्म ' रांझणा ' का टाइटल ट्रैक गा चुके है ।  शिराज़ ने  एक कॉलेज के युवा की बेबसी और विरह से पैदा हुई चीख को निहायत ही साफगोई और शिद्दत से इस गाने में उतार दिया है।  पूरा   गाना अकूस्टिक गिटार पर एक जैसी गति से चलता है।  शिराज़ की आवाज़ सुनकर लगता है की वो एक 20 बरस के लड़के है जबकि असल में वो  13 बरस के  एक पुत्र के पिता है।  शिराज़ न सिर्फ एक अच्छे फनकार है बल्कि एक निर्मल ह्रदय के इंसान और एक ज़िम्मेदार और तरक्कीपसंद पाकिस्तानी नागरिक भी है।  ये पाकिस्तान के प्रिंट और विसुअल मीडिया में नियमित आते है और समसामयिक मुद्दों पर अपनी बेबाक राय भी देते है।  रहमान को अपना गुरु मानने वाले शिराज़ लाहौर में एक स्टेट ऑफ़ आर्ट रिकॉर्डिंग स्टूडियो के मालिक है। हालही में   इन्होने नीति मोह  साथ ' रेज़ा -रेज़ा ' नामका एक गाना कंपोज़ किया  है और गाया भी है  जो एक बेहतरीन ट्रैक बन पढ़ी है।  

मवाली कव्वाली : मवाली कव्वाली को कनाडा से आने वाले एक और सिंगर राघव माथुर और रहमान के लिए गाने वाली एक अत्यंत प्रतिभावान गायिका   तन्वी शाह ने  गाया है। गाने की शुरुवात तन्वी शाह की लिखी और गायी  स्पेनिश लिरिक्स से होती है उसके बाद राघव गाने को आगे ले जाते है  ।  ये एक टिपिकल टेंप्लेटाइज़्ड ए आर रहमान कम्पोजीशन है।  इस किस्म के दर्ज़नो  गाने रहमान समोसे और कचौड़ियों की तरह तल सकते है। रहमान के ऐसे गाने रिलीज़ होने के साथ ही हिट हो जाते है।  इस गाने को सुनते ही " रावण " फिल्म के 'बीरा' की याद आती है।  मवाली कव्वाली का USP है अमिताभ भट्टाचार्य की प्रयोगधर्मी लिरिक्स।  ज़रा इस पर गौर कीजिये - छप्पन छुरी छत्तीसगढ़ी अखियाँ तेरी नक्सलवादी , या फिर मवाली , बवाली , रुमाली जैसी तुगबंदियाँ।   ये एक नयी भाषा है , एक नया प्रयोग है जो फेसबुक जनरेशन को टारगेट करता है जो  अभी भी ' चार बोतल वोडका ' में झूम रही है।  बाकी गानो से अलग मवाली कव्वाली में कोर्डिंग के लिए गिटार के साथ साथ  पियानो का भी  इस्तेमाल हुआ है जो ओवरआल लिसनिंग  एक्सपीरियंस को  एलिवेट कर देता है।  मेरा अनुमान है ये पियानो रहमान ने खुद बजाया  है।  

बेक़सूर - ये गाना  आपके दिमाग और दिल में चढ़ने में सबसे ज्यादा टाइम लगाएगा।  लेकिन   ये गाना मौसिकी , शायरी और गायकी के लिहाज़ से इस एल्बम का सबसे बेहतरीन गाना है।  मेरे ख्याल से रहमान ने इस ट्रैक को कंपोज़ करने में सबसे ज़्यादा वक़्त लगाया होगा  और इसकी 'शेल्फ लाइफ' बाकी गानो से काफी ज्यादा रहने वाली है  । इस ट्रैक के हर हिस्से पे रहमान की छाप है।  इस गाने से ये भी  समझ आता है की अमिताभ भट्टाचार्य सिर्फ हिंगलिश तुगबंदियों  के ही  उस्ताद नहीं है बल्कि एक उम्दा गीतकार भी है। गाने के बोल रूहानी है और उतनी ही रुहदार है श्वेता पंडित और नकाश अज़ीज़ के आवाज़ें।  श्वेता निस्संदेह क्लासिकल गाने वाली आज के समय की सबसे उम्दा गायिका है।  उनकी आवाज़ में तालीम और रियाज़ का असर साफ़ सुनाई देता  है।  नकाश जब हाई पिच पे गाते है तो ' शान '  जैसे सुनाई पढ़ते है , उनकी गायकी पर 'शान' और 'केके' का प्रभाव झलकता है।  ये रात का  नग़मा है , जब आधी रात को कार के हॉर्न्स का शोर थम जाए तब अपनी  बालकनी  में खड़े होकर इस गाने को आई -पैड  पर सुनियेगा , रात की सारी स्याही आपकी रगो में उतर आएगी।  ये रहमान का जादू है , रहमानइश्क।  

तू शाइनिंग -  ये ड्यूरेशन के लिहाज़ से एल्बम की सबसे  छोटी  ट्रैक है।  तू शाइनिंग ' सेमेस्टर ब्रेक ' की मस्ती  और पहले प्यार की रुमानियत से सराबोर ' बॉयज़ोन ' स्टाइल  का गाना है।  गाने में ड्रम्स , विशेषकर सिंबल्स , का ज़बरदस्त यूज़ किया गया है। ह्रदय गट्टानी मुंबई के  अनप्लग्ड सर्किट में उभरता हुआ नाम है और " बॉम्बे " के ' हार्ड रॉक कैफ़े ' में इसी किस्म का फ्यूज़न गाते है इसलिए इस गाने के लिए वो सबसे ज्यादा फिट रहे होंगे।  बेस गिटार के  इस्तेमाल से गाने में ' मच डिज़ाइर्ड ' वज़न आ गया है।  इस गाने से ह्रदय के लिए भविष्य में बहोत से दरवाज़े खुलने वाले है क्योकि ये आजकल का सबसे कॉमनली यूस्ड जोनऱ है।  


LHDD  में रहमान का संगीत 2003 में आई उनकी तमिल सुपरहिट " बॉयज " की याद दिलाता है।  " बॉयज " में रहमान ने  अदनान सामी , शिराज़ उप्पल , लकी अली , कार्तिक और वसुंधरा दास जैसी उस वक़्त के उभरते गायको  को  साथ लेकर  टैंग्लिश (  तमिल और इंग्लिश ) लिरिक्स को ऐसे संगीत में पिरोया था जिसे तमिलनाडु के सारे FM रेडियो स्टेशन्स आज भी बजाते है।  LHDD के म्यूजिक से रहमान ने ये बताया है की उनमे चिन्नई का वो ' लड़का '  आज भी वैसा ही ज़िंदादिल और अल्हड़ है।  

सालों से  सेहतमंद और होलसम संगीत के आदी रहमान भक्तो के लिए ' मास्टर शेफ चिन्नई ' ने इस बार '  फ़ास्ट फ़ूड ' परोसा है।  लेकिन ये '  फ़ास्ट फ़ूड ' स्पेनिश ओलिव आइल , कैनेडियन लेट्यूस और पस्किस्तानी हलीम गोश्त से लबरेज़ है इसलिए जी भर के खाइए।  


MY VERDICT -  " छे के छे हीरे है " .
4.75/5.00






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