Thursday, May 8, 2014

तुम हमारे नहीं तो क्या ग़म है

तुम हमारे नहीं तो क्या ग़म है
हम तुम्हारे तो  है ये  भी क़्या कम है

हुस्न की शोख़ियाँ ज़रा देखो
गाहे शोला हैं गाहे 'शबनम' है

मुस्कुरा  दो ज़रा खुदा के लिए
शम्म -ए -मेहफिल में रोशनी  कम है

बन गया है ज़िन्दगी  अब तो
तुझसे बढ़कर हमे  तेरा ग़म है

                            - कँवर मोहिन्दर  सिंह बेदी  ( सहर )


( आज रिकॉर्ड की सुई इस ग़ज़ल पे आकर अटक गयी है जैसे )



No comments:

Post a Comment