Sunday, May 11, 2014

रिश्तों की दुकानदारी

" प्लीज फ़ोन उठालो , तुम्हारी  मॉम ने एक घंटे से कॉल कर -कर के प्राण ले रक्खे है।  दो मिनट बात कर के पूछ लो ऎसी उतावली क्यो हो  रही है। और तुम  ऐसा क्या कर रहे हो इतनी देर से कंप्यूटर पे " ? 

"तुम उनको फ़ोन करके बोल दो कि मै बिज़ी हुँ , थोड़ी देर से कॉल कर लूंगा "

"लेकिन तुम ऐसा क्या   कर रहे हो यार " ?????

"मैं फेसबुक पे पोस्ट करने के लिए एक अच्छा सा " मदर्स डे " कोट गूगल कर  रहा हूँ।  "



Thursday, May 8, 2014

लेकर हम हम दीवाना दिल : Lekar Hum Deewana Dil

"लेकर हम हम दीवाना दिल" , राज कपूर की सुपुत्री रीमा कपुर ( जैन ) के सुपुत्र अरमान जैन औऱ फेमिना मिस इंडिया 2009  की फाइनलिस्ट दीक्षा सेठ ( आाजकल तेलगु फिल्मो की दीपिका पादुकोण ) की  फिल्म है।  फिल्म में जो  तीन सबसे खास बाते है  पेहली क़ि  ये सैफ आली ख़ान के द्वारा प्रोड्यूस्ड पहली फिल्म है , दूसरा क़ि  ये आरिफ अली द्वारा निर्देशित पहली फिल्म है , आरिफ अली इम्तिआज़ अली के भाई है और तीसरी और सबसे महत्वपूर्ण बात कि इसमे ए  आऱ रहमान का म्यूजिक है।
सौजन्य : इरोज़ 
ऐसा बोला जा रहा है कि रहमान ने इस फ़िल्म में एक अलग किस्म की साउंड इज़ाद की है और ऐसा संगीत दिया हैं जो पहले कभी नहीं सुना गया।  यानी रहमान के दीवानो क़ी भरी गर्मीं मे दिवाली ओर होली  होनें वाली है।  रहमान की पिछली तीन फिल्में " जब  तक है जान " " रांझणा " और " हाईवे " संगीत की दृष्टि से उच्च कोटि की थी परन्तु फिर भी आम जनता के मन  में " रॉकस्टार " जैसा सैलाब पैदा नहीं कऱ पायी।  

"लेकर हम हम दीवाना दिल" से उम्मीद की  जा  रही है कि ये रहमान  की " रंग दे बसंती " और " जाने तू या जाने ना " वाली विरासत को  आगे बढ़ाएगी।  फिल्म 4 जुलाई को रिलीज़ होगी यानि म्यूजिक 15 मई के बाद रिलीज़ हो सकता हैं।  गानो के बोल अमिताभ भट्टाचार्य ने लिखे है जो एक उभरते हुए गीतकार और गायक  है ( २ स्टेट्स का " ओफ्फो " इन्होने ही लिखा और  गाया है ) 

"लेकर हम हम दीवाना दिल" के म्यूजिक रिव्यु के लिऐ #BLAH BLAH BLOG से जुड़े रहे।  

तुम हमारे नहीं तो क्या ग़म है

तुम हमारे नहीं तो क्या ग़म है
हम तुम्हारे तो  है ये  भी क़्या कम है

हुस्न की शोख़ियाँ ज़रा देखो
गाहे शोला हैं गाहे 'शबनम' है

मुस्कुरा  दो ज़रा खुदा के लिए
शम्म -ए -मेहफिल में रोशनी  कम है

बन गया है ज़िन्दगी  अब तो
तुझसे बढ़कर हमे  तेरा ग़म है

                            - कँवर मोहिन्दर  सिंह बेदी  ( सहर )


( आज रिकॉर्ड की सुई इस ग़ज़ल पे आकर अटक गयी है जैसे )



Tuesday, May 6, 2014

ज़ेब में SBI कदमो में दुनिया


आजकल टीवी पर एक विज्ञापन आ रहा है। एक नौजवान स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की ब्रांच की तलाश करते हुए परेशान हो रहा होता है तभी रास्ते पर खेलते कुछ बच्चे उसे हँसते हुए समझाते है कि SBI की ब्रांच उसकी जेब में है और वो उसे बाहर खोज़ कर परेशान हो  रहा है।


दरअसल ये एड SBI  की एंड्राइड आधारित इंटरनेट बैंकिंग एप्लीकेशन " स्टेट बैंक फ्रीडम प्लस " का है।   बहोत दिनों के बाद किसी बैंक का ऐसा बेहतरीन टीवी एड  आया हैं  जौ  इतनी आसानी और प्रभावी ढंग से अपना मैसेज कम्यूनिकेट कर देता है।

एक बात निर्विवादित है ,अगर आप इंडिया में है तो स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के बिना काम चलाना  नामुमकिन  तो नहीं है मगर बेहद मुश्किल  हैं। अपनी ब्रांचेज़  , ATMs , e-Corners और कस्टमर सर्विस पॉइंट्स ( CSPs) को मिलाकर स्टेट बैंक के एक लाख से ज्यादा टच पॉइंट्स पऱ अपने ग्राहकों के लिए उपलब्ध है।  बावजूद इसके अगर आप स्टेट बैंक की सेवाए " ON THE GO" पाना चाहते है या फिर स्टेट बैंक को आपने स्मार्ट फ़ोन में समेटना चाहतें है तो " स्टेट बैंक फ्रीडम प्लस " आपके  लिए ही है।

" स्टेट बैंक फ्रीडम प्लस " की एप्लीकेशन  एंड्राइड 2 . 3 ( यानी जिंजर ब्रेड ) या इसके बाद के वर्शन्स के मोबाइल फोन पर काम  करती है और गूगल प्ले से इसे डाउनलोड किया  जा सकता है।  वो सारे ग्राहक जिन्होंने ट्रांज़ैक्शन्स राइट्स के साथ स्टेट बैंक की इंटरनेट बैंकिंग सुविधा ले रखी हैं, अपने यूजर आईडी और पासवर्ड से " स्टेट बैंक फ्रीडम प्लस " का उपयोग कर  सकते है।  ध्यान रहे , गूगल प्ले के अलावा इस एप्लीकेशन को औऱ कंही से डाउनलोड ना करें।  

" स्टेट बैंक फ्रीडम प्लस " के बारे में ज्यादा जानकारी  आप इस लिंक पर जाकर प्राप्त  कर सकते है https://play.google.com/store/apps/details?id=com.sbi.SBIFreedomPlus

1999 में बिल गेट्स ने अपनी किताब " Business @ the speed of thought " में लिखा था "  20 साल के बाद हमें बैंकिंग की ज़रूरत तो रहेगी लेकिन बैंक और बैंक वालों की जरूरत रहे ये आवश्यक नही " .