Thursday, October 8, 2015

मटरगश्ती - तमाशा बस शुरू होने को है

आज महीनो बाद याद आया की मेरा एक ब्लॉग भी है।  ज़िंदगी ने बड़े बड़े मिर्ज़ा गालिबों और मुंशी प्रेमचंदों को आटे- दाल के भाव सिखा दिए , अपना भी आजकल कुछ यूँ ही चल रहा है।  दुनियादारी से फुर्सत ही नहीं मिलती जो दिलदारी के लिए टाइम निकले।  खैर , आज प्रसंग अलग है। ऐ आर रहमान की नयी पिक्चर 27 नवम्बर को रिलीज़ हो रही है।  इम्तिआज़ अली की 'तमाशा'।  पिछले एक साल से इस पिक्चर का इंतज़ार था।  ऐ आर रहमान , इम्तिआज़ अली और इरशाद कामिल का कॉम्बिनेशन हमेशा से सुपर हिट रहा है।  पहले ' राकस्टार' फिर 'हाइवे' और अब 'तमाशा'। इस फिल्म का म्यूजिक 16 ओक्टूबर को आने वाला है।  इस बार बहुत कुछ नया है।  मिका सिंह को  पहली बार रहमान ने गाना गाने का मौका दिया है।  सुन रहे है कि इस फिल्म में दीपिका पादुकोण ने भी गाना गाया है और सबसे ख़ास बात की इस फिल्म में ' पंडवानी' विधा की शीर्ष गायिका ' पद्मश्री ' तीजन बाई ' ने भी कुछ गाया है।  रहमान साहब साउथ में एक के बाद एक हिट दे रहे है - मर्यन, काविया- थालाइवन , लिंगा , आई , ओके- कन्मानी - लेकिन हिन्दी में पिछले २-३ साल में उनका कोई म्यूजिकल सुनामी नहीं आया।  शायद तमाशा इस बार सबको हिला के रख देगी।

http://bit.ly/Tamasha_Trailer

Sunday, January 4, 2015

LAZY BANKERS

मै सार्वजानिक क्षेत्र की एक महत्वपूर्ण बैंक ( PSB) का सुस्त और आलसी बैंकर हूँ , मेरी ब्रांच के ठीक बाजू में निजी क्षेत्र की एक  राकस्टार बैंक की ब्रांच है । मेरी ब्रांच का गार्ड सारे दिन  आगंतुक ग्राहकों के वाहनों को व्यवस्थित रूप से पार्क करवाने के लिए जद्दोजेहद करता है और राकस्टार बैंक का गार्ड सारे दिन कुर्सी पर आराम से बैठे रहता है क्योकि उसके यहाँ जितने ग्राहक पूरे महीने में आते है उतने मेरे यहाँ एक हफ्ते में आते है । मेरी ब्रांच औसत 300 बचत खाते हर महीने खोलती है और मेरी शाखा से जुड़े 4 ग्राहक सेवा केंद्र ( बैंक मित्र ) प्रधानमंत्री जन धन योजना के  औसत 300 बचत खाते प्रतिदिन खोलते है । जितना स्टाफ मेरी शाखा में है उतना है स्टाफ राकस्टार बैंक की ब्रांच में है । राकस्टार बैंक की ब्रांच प्रतिदिन 6.30 पर बंद हो जाती है जबकि मेरी ब्रांच के अधिकारी 7.30 तक काम करते है । मेरी ब्रांच के  दोनों ATMs पे सारे दिन ग्राहकों का मेला रहता है वन्ही राकस्टार बैंक का इकलौता ATM ग्राहकों की राह तकता है । मेरी शाखा में आने वाले ज्यादातर ग्राहक निम्न वर्ग के होते है क्योकि उनके लिए मेरी बैंक का नाम ही बैंकिंग का पर्याय है ,उन्हें   राकस्टार बैंक का लम्बा सा नाम समझ ही नहीं आता और अगर वो कभी उस   राकस्टार बैंक की शाखा में प्रवेश करने की सोचें भी तो वंहा टाई पहने खड़ा गार्ड खड़ा देखकर उनकी हिम्मत जवाब दे जाती है । 

चाहे किसी को LPG सब्सिडी के लिए खाता खुलवाना हो , या जननी सुरक्षा के लिए या फिर शिक्षा ऋण लेना हो सब मेरी शाखा ही आना पसंद करते है क्योकि में आलसी और सुस्त हूँ  । प्रधानमंत्री जनधन योजना के खाते खुलवाने के लिए तो मेरी  जैसी PSBs ही लोगों की पहली पसंद है ।ज़ाहिर  सी बात है  जनधन योजना  के खाते  तो जनता  की बैंक  ही खोलेगी , राकस्टार बैंक में तो राकस्टार लोगों के  खाते खोले जाते है । 

ये  कहानी सिर्फ मेरी बैंक की नहीं है , आजादी के बाद से हम जैसे सुस्त और आलसी बैंकर्स ही इस देश की इकनामी को आगे बढ़ा रहे है । सरकार की जन कल्याणकारी और कई बार राजनीतिक मह्त्वाकान्क्षाओ की योजना को अमली जामा पहनाने का दारोमदार भी हम जैसे सुस्त और आलसी बैंकर्स पर ही रहा है ।

Saturday, October 4, 2014

अटाला भेला होरा है बस

एक सिद्ध आत्मा से मुलाकात हुई।  एक मित्र के साथ मिलने गया था।  फक्कड़ है , बेफिक्र है और निर्विचार है ( अविचार नहीं ) इसलिए सिद्ध है।  बात निकली तो बोलने लगे " अटाला भेला करके क्या मिलेगा " ( अटाला मतलब - कचरा और भेला करके मतलब इकट्ठा करके )।  चाहे जितना जोड़ लो सब कचरा ही तो है।  साल भर जितना अटाला इकट्ठा करते है दिवाली पर घर से बहार फेक ही देते है।  जिस दिन मन की दिवाली हो गयी उसदिन सब अटाला ही लगेगा। मन लाख दुखों में डूबा है , लेकिन एक चिलम का सुट्टा , एक पेग , एक मारिजुआना का शॉट और सब गायब , अगर तकलीफे वाकई इतनी गंभीर थी तो फिर एकाएक कहाँ चली गयी , समस्याए कंही नहीं गयी , बस मन की दिवाली हो गयी और सारा अटाला बाहर हो गया।

सारी समस्याए मन की है और सब इलाज़ मन में ही छुपे है।  मन के हारे हार है मन के जीते जीत।  लेकिन ये बड़ी ही सिंप्लिस्टिक व्याख्या है मन के विकारों और मन के विचारो की , ये सिंपल नहीं है।  मन पे काबू पाना ही तो सबसे बड़ा टास्क है , सक्सेस रेट बड़ा ही कम है।  रास्ता आसान  भी नहीं। भंगार से इतना प्यार है कि छोड़ने का दिल ही नही करता।जैसे  कई लोगो की आदत होती है , बेकार की चीज़े , पुराने कपड़े , फटे जूते , अखबार की रद्दी इकट्ठा किये जाते है , दराज़ो में, अलमारियों में , ताक पे रखते जाते है।  इतना कि खुद के रहने को जगह कम पढ़ जाए लेकिन फिर भी दिल नहीं भरता 'अटाला  भेला करने से " ।  फिर एक दिन रद्दी वाले को बुलाते है और उस से किलो -किलो का भाव करते है , उसकी तराज़ू  पे शक करते है।  पुराने कपड़ो के बदले स्टील के बर्तनो का बार्टर करते है। दो सो रूपए की अखबार की रद्दी और स्टील के दो कटोरे खरीद के खुद पे गर्व करते है की देखो मैंने रद्दी बेचकर कितना कुछ हांसिल कर लिया।  अगले दिन से खाली हुए दराज़ो , अलमारियों को फिर से भरने में लग जाते है।

बस अटाला ही तो भेला हो रहा है


Thursday, August 21, 2014

।। श्री राम ।।

।। श्री राम ।।




श्रीरामचन्द्र कृपालु भजु मन हरण भव भय दारुणं।
नवकंज-लोचन कंज-मुख कर-कंज पद-कंजारुणं॥१॥

( ओ मन , तू करुणानिधान श्री राम चन्द्र का भजन कर , जो जन्म मरण और पुनर्जन्म के भय को हर लेते है. उनके नेत्र नव-विकसित कमल के समान है. मुख-हाथ और चरण भी लालकमल के सदृश हैं. )

कन्दर्प अगणित अमित छबि नवनील-नीरद सुन्दरं।
पट पीत मानहु तड़ित रुचि शुचि नौमि जनक सुतावरं॥२॥

( जिनकी छवि असंख्य कामदेवों और नवीन नीले बादल के जैसी अलोौकिक है, उनके शरीर का नवीन नील-सजल मेघ के जैसा सुंदर वर्ण है. पीताम्बर मेघरूप शरीर मे मानो बिजली के समान चमक रहा है. ऐसे पावनरूप जानकीपति श्रीरामजी को मै नमस्कार करता हू.     ) 

भजु दीनबंधु दिनेश दानव-दैत्यवंश-निकंदनं।
रघुनंद आनँदकंद कोशलचंद दशरथ-नंदनं॥३॥

हे मन! दीनो के बंधू, सुर्य के समान तेजस्वी , दानव और दैत्यो के वंश का समूल नाश करने वाले,आनन्दकंद, कोशल-देशरूपी आकाश मे निर्मल चंद्र्मा के समान, दशरथनंदन श्रीराम का भजन कर. ) 

सिर मुकुट कुण्डल तिलक चारु उदारु अंग बिभूषणं।
आजानुभुज शर-चाप-धर संग्राम-जित-खरदूषणं॥४॥


( जिनके मस्तक पर रत्नजडित मुकुट, कानो मे कुण्डल, भाल पर तिलक और प्रत्येक अंग मे सुंदर आभूषण सुशोभित हो रहे है. जिनकी भुजाए घुटनो तक लम्बी है. जो धनुष-बाण लिये हुए है. जिन्होने संग्राम मे खर-दूषण को जीत लिया है.)

इति वदति तुलसीदास शंकर-शेष-मुनि-मन-रंजनं।
मम हृदय-कंज निवास कुरु कामादि खलदल-गंजनं॥५॥


(जो शिव, शेष और मुनियो के मन को प्रसन्न करने वाले और काम,क्रोध,लोभादि शत्रुओ का नाश करने वाले है. तुलसीदास प्रार्थना करते है कि वे श्रीरघुनाथजी मेरे ह्रदय कमल मे सदा निवास करे)

मनु जाहि राचेउ मिलिहि सो बरु सहज सुन्दर सांवरो
करुना निधान सुजान शील सनेहु जानत रावरो॥६॥


(जिसमे तुम्हारा मन अनुरक्त हो गया है, वही स्वभाव से ही सुंदर सावला वर (श्रीरामचंद्रजी) तुमको मिलेगा. वह दया का खजाना और सुजान (सर्वग्य) है. तुम्हारे शील और स्नेह को जानता है )

ऐहि भांति गौरि अशीश सुनि सिये सहित हिये हर्सि अली।
तुलसि भवानिहि पुजि पुनि पुनि मुदित मन मन्दिर चली।।७।।


(इस प्रकार श्रीगौरीजी का आशीर्वाद सुनकर जानकीजी समेत सभी सखिया ह्रदय मे हर्सित हुई. तुलसीदासजी कहते है-भवानीजी को बार-बार पूजकर सीताजी प्रसन्न मन से राजमहल को लौट चली )

जानि गौरि अनुकूल, सिय हिय हरसु न जाहि कहि।
मन्जुल मंगल मूल, बाम अंग फ़रकन लगे।।


(गौरीजी को अनुकूल जानकर सीताजी के ह्रदय मे जो हरष हुआ वह कहा नही जा सकता. सुंदर मंगलो के मूल उनके बाये अंग फडकने लगे ) 

- गोस्वामी तुलसीदास जी 

ऐसा कहा जाता है कि विवाह योग्य कन्याए श्री राम की यह वंदना श्रद्धापूर्वक करे तो उन्हें सुयोग्य एवं मनवांछित  वर की प्राप्ति होती है।  अगर किसी कन्या  के विवाह में कोई व्यवधान या बाधा आ रही हो तो वह भी श्री राम की इस स्तुति से दूर हो  जाती है।  

Friday, August 15, 2014

आज़ादी

हम आज़ाद है , हम आज़ाद है
कहता है ये ज़माना
दरअसल
हम आज़ादी की गिरफ्त  में है